Sunday, May 18, 2008

नाम बदलने से भी करिश्मा हो सकता है

क्या ज्योतिष, हस्तरेखा शास्त्र, अंक ज्योतिष, या इसी तरह की अनेक विद्याओं से भविष्य जाना जा सकता है ? क्या इन विद्याओं के जरिये दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है ? क्या ये विद्यायें अंधविश्वास को बढ़ावा देती हैं ? प्रश्न कई हैं और इनके उत्तर भी संबंधित क्षेत्र के ज्ञाता या इन पर विश्वास न करने वाले अक्सर देते रहते हैं।

जिस तरह हर विषय के पक्ष और विपक्ष में लोगों की अपनी राय होती है इस विषय में भी है। कुछ विश्वास करते हैं, कुछ अंधविश्वास करते हैं तो कुछ हैं जो सिर्फ अंधविश्वास समझते हैं।जो अंधविश्वास समझते हैं उनके बारे में मैं कुछ नहीं कहना चाहता। उनकी अपनी राय है, अपनी सोच है हो सकता है वे सही हों। जो विश्वास करते हैं उनकी अपनी सोच है, इस विषय पर उनकी श्रद्धा है और इस विषय को अंधविश्वास मानने वाले लाख कोशिश कर लें उनके विश्वास को हिला नहीं पाते। जो इस विषय पर अंधविश्वास करते हैं उनसे मैं जरूर इतना कहना चाहूंगा कि इस विषय पर ही नहीं किसी भी विषय पर, किसी भी क्षेत्र में अगर विश्वास करें तो सिर्फ विश्वास करें अंधविश्वास न करें।

वर्तमान में हर तरफ अंकशास्त्र का बोलबाला है। अखबारों से लेकर टेलीविजन, इंटरनेट, पत्रिकायें और हर शहरों में खुले हुये ज्योतिष, टैरोकार्ड रीडर, अंकशास्त्र के केन्द्रों ने इस विद्या की जिज्ञासा और भी बढ़ा दी है। आम आदमी जब टेलीविजन चैनलों पर आने वाले सीरियलों या फिल्मों के अंग्रेजी नामों को देखता है (उदाहरण देखिये), जब वो ``कसम से´´ की स्पेलिंग्स Kasam se की जगह Kasamh se पढता है, या
kusum की जगह उसे KKusum दिखता है तो वो आश्चर्य में पड़ जाता है। जो लोग अंकशास्त्र के बारे में कुछ जानते हैं वे समझ जाते हैं कि किसी अंकशास्त्री द्वारा सुझाये गये स्पेलिंग्स बदलाव की वजह से अच्छे खासे नाम को विकृत करके पेश किया जा रहा है। परंतु कसम से में एक `एच´ और कुसुम में `के´ ही क्यों बढ़ाया गया ये उसकी समझ से बाहर होता है। जब ये सीरियल या Kaho naa pyaar hai जैसी फिल्में हिट हो जाती हैं तो उन्हें लगता है कि शायद अंकशास्त्र की वजह से इनके नामों में जो फेरबदल किया गया था उसकी वजह से शायद ये हिट हो गई हैं।

जिज्ञासा जब आम आदमी को इन विद्याओं के जानकारों के पास ले जाती है तो उनकी फीस सुनकर वे निराश मन से वापस लौट आते हैं। एक लेख के अनुसार दिल्ली, पुणे और मुम्बई में कार्यरत कई अंकशास्त्री और टैरोकार्ड रीडरों की सामान्य फीस 15 हजार से 20 हजार रूपये है जो समस्या का समाधान कराने गये व्यक्ति की हैसियत को देखकर और भी बढ सकती है।

लोग शायद अंकशास्त्र की तरफ इसलिये भी अधिक जाते हैं क्योंकि इसमें बड़े स्तर पर कोई उपाय नहीं करने पड़ते, कोई पूजा पाठ, किसी तरह का ताबीज गण्डा नहीं है सिर्फ प्रचलित नाम में जन्म दिनांक के हिसाब से कुछ फेरबदल किया जाता है और करिश्मा हो जाता है।

बचपन से मेरी रूचि अंकशास्त्र और उसके अध्ययन में है और जब अधिक जानकारी के लिये मैंनें अंतर्जाल पर अंकशास्त्र के बारे में टटोला तो हिन्दी में कहीं कुछ नहीं दिखा। अंग्रेजी में भी जो कुछ है वो समस्या का समाधान नहीं करता। जिज्ञासु लोगों की परेशानी और उन्हें मोटी-मोटी फीस सुनकर निराश होते या लुटते देख मेरे मन में इस ब्लॉग का विचार आया और `नाम का करिश्मा´ आपके सामने है। मेरी इस कोशिश से इस विद्या से जुडे विद्वानों की अमूल्य राय मुझे प्राप्त हो जाये,कुछ ज्ञान में बढ़ोत्तरी हो जाये, किसी की समस्या का समाधान हो जाये बस यही इच्छा है।

1 comment:

Amit K Sagar said...

bahut badiya mitr.
सबकुछ बहुत उम्दा. लिखते रहिये. और भी अच्छा लिखे, कामना करते हैं. शुभकामनायें.